संज्ञा(sangya)
‘संज्ञा‘ नाम को कहते हैं, और नाम सदा किसी चीज या वस्तु का होता है। संसार में हमें सैकड़ों-हजारों तरह की चीजें दिखाई देती है और उन चीजों की पहचान के लिए हमें उनका कुछ नाम रखना पड़ता है। कलम, कागज, किताब, गाड़ी, घर, छाता, जूता, ताला ये सभी चीजें हैं |
यदि एक स्थान पर बहुत सी चीजें रखी हों और हम उनसे कोई चीज माँगना चाहें तो हमें उस चीज की पहचान के लिए उसका नाम बतलाना पड़ता है। हम कहते हैं- चौकी पर से किताब उठा लाओ, या पेटी में से कुरता निकाल लाओ। चौकी एक चीज है, किताब दूसरी चीज, पेटी तीसरी चीज और कुरता चौथी चीज | इन चारों चीजों की अलग अलग पहचान के लिए ही उनके ये चार नाम हैं । मनुष्यों के भी नाम होते हैं,—कृष्ण, मोहन, राम, श्याम आदि यही बात पशु-पक्षियों, वृक्षों आदि के सम्बन्ध में भी है। व्याकरण में इस प्रकार के सभी नामों को संज्ञा कहते हैं ।
ये तो हुए वास्तविक चीजों के नाम | पर बहुत सी ऐसी चीजें भी होती हैं जिनकी कोई वास्तविक और मूर्त्त सत्ता नहीं होती | हम उन्हें देख या पकड़ नहीं सकते, केवल मन में उनकी कल्पना कर लेते अथवा कर सकते हैं; पर उन्हें भी हम चीज या वस्तु ही कहते हैं। जैसे- भूत-प्रेत, सच-झूठ, गरमी-सरदी आदि भी कुछ चीजों के ही नाम हैं। फिर कामों के भी नाम होते हैं। जैसे-जाँच-पड़ताल, देख-रेख, नौकरी, व्यापार आदि |
हमारे मन में अनेक प्रकार के भाव उत्पन्न होते हैं। उनके अनुराग, उत्साह, दया, भय, सन्देह, हर्ष आदि नाम हैं। इसी प्रकार अत्याचार. क्रूरता, मोह, शक्ति आदि भी गुणों के नाम हैं ये सब भी तात्विक दृष्टि से वस्तुएँ ही हैं, और इसी लिए इनके ये सब नाम रख लिये गये हैं।
संसार में जिस प्रकार वस्तुओं की कोई गिनती नहीं हो सकती, उसी प्रकार उनके नामों की भी गिनती नहीं की जा. सकती । इसलिए व्याकरण में ऐसे सभी नाम सामूहिक रूप से ‘संज्ञा‘ कहे जाते हैं।
संज्ञा किसे कहते हैं – sangya kise kahate hain
संज्ञा का अर्थ होता है – नाम |
किसी वस्तु या चीज के नाम को संज्ञा कहते हैं |
जैसे – मोहन, पुस्तक, नगर, बचपन आदि |
यहाँ वस्तु शब्द का अर्थ उसके व्यापक अर्थ में लिया गया है | इससे प्राणी, पदार्थ, स्थान, तथा भाव आदि का बोध होता है |
अर्थात्-किसी प्राणी, पदार्थ, स्थान, तथा भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं |
- प्राणी का नाम :- मोहन, कुत्ता, मछली, साँप, मकड़ी,
- पदार्थ का नाम:– टमाटर, चीनी, तेल, केला, लोहा, ऊन, लकड़ी, सोना-चाँदी
- स्थान का नाम :- पटना, मुम्बई, चेन्नई, पंजाब
- जानवर का नाम:- गाय, शेर, हाथी, भालू, हिरन
- भाव का नाम:- सफाई, पढ़ाई, बुनाई, ख़ुशी आदि
Note:– संज्ञा शब्द का उपयोग हम वस्तु के लिए नहीं करते है बल्कि उस वस्तु के नाम के लिए करते है | जैसें- जिस लकड़ी से कुर्सी बनी है वह लकड़ी संज्ञा नही है वल्कि वह पदार्थ है पर लकड़ी शब्द जिसके द्वारा हम उस पदार्थ का नाम सूचित करते हैं वह संज्ञा है |
Hot Tips:-
• संसार की वे तमाम चीजे या वस्तु जो क्या है और कौन है का जवाब देती है वह संज्ञा है |
• सं- सम्पूर्ण वस्तु + ज्ञ – ज्ञात + अ – अज्ञात = संज्ञा
• अर्थात् सम्पूर्ण वस्तु जो ज्ञात या अज्ञात हो संज्ञा कहलाती हैं |
• जिस शब्दों के अंत में आई, आन, आव, आवा, आवट, आहट, इत्यादि लगा रहे वह शब्द संज्ञा है |
संज्ञा के उदाहरण – sangya ke udaharan
- राम का भाई लक्ष्मण है |
- सीता राजा जनक की पुत्री थी |
- हमारे देश का नाम भारत है |
- गाय दुध देती है |
संज्ञा के कितने भेद होते हैं – Sangya ke kitne bhed hain
संज्ञा के पांच भेद होते हैं |
- जाति-वाचक संज्ञा
- व्यक्ति वाचक संज्ञा
- समूह वाचक संज्ञा
- द्रव्य-वाचक संज्ञा
- भाव-वाचक संज्ञा
जातिवाचक संज्ञा किसे कहते है / jati vachak sangya kise kahate hain
जिस नाम या संज्ञा से किसी जाति या वर्ग के सभी जीवों या. वस्तुओं में से प्रत्येक का समान रूप से बोध होता हो, उसे जाति-वाचक संज्ञा कहते हैं ।
जैसे – मनुष्य, पुस्तक, नगर, पशु, पक्षी, गौ, घोड़ा, वृक्ष आदि,
Explanation:- गंगा, यमुना, अमेज़न तथा नील एक दुसरे से भिन्न है पर इनमें एक समानता है वो है इनकी गहराई उनकी गिनती एक ही जाति में होती है ओर उस जाति का नाम नदी है यहाँ पर नदी शब्द जातिवाचक है तथा गंगा, यमुना, अमेज़न तथा नील व्यक्तिवाचक संज्ञा है |
Note:– कुछ जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञाओं की तरह भी किया जाता है | जैसे-
जातिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित स्थितियों में होती हैं
(1) सम्बन्धियों के नाम – माँ, बाप, भाई, बहन.
(2) व्यवसायों के नाम – हलवाई, सोनार, लोहार, बढ़ई, माली, डॉक्टर, वकील, .
(3) पदों के नाम- अध्यापक, प्रोफेसर, मंत्री, अध्यक्ष,
(4) स्थान के नाम- नगर, देश, राज्य, विदेश, गाँव, पंचायत, वार्ड.
(5) कार्यों के नाम- चोर, मजदूर, किसान .
(6) पशु पक्षियों के नाम – हाथी, गाय, शेर, तोता, मैना, कोयल.
(7) वस्तुओं के नाम – मकान, कुर्सी, मेज, घड़ी, पुस्तक, कलम.
(8) प्राकृतिक तत्वों के नाम – बिजली, वर्षा, आँधी, तूफान, भूकम्प, ज्वालामुखी
व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं / vyakti vachak sangya kise kahate hain
जिस नाम या संज्ञा से किसी जाति या वर्ग के किसी एक ही विशिष्ट जीव या वस्तु का बोध कराया जाता हो, उसे व्यक्ति-वाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- राम, मोहन, कृष्ण आदि ।
- ‘नदी’ शब्द जाति-वाचक संज्ञा है और ‘गंगा’ ( या यमुना) व्यक्ति-वाचक संज्ञा ।
- ‘पर्वत’ जाति-वाचक संज्ञा है और हिमालय ( या विन्ध्याचल ) व्यक्ति-वाचक संज्ञा ।
- इसी प्रकार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य आदि जाति-वाचक संज्ञाएँ हैं, और वशिष्ठ, विश्वामित्र, अमीचंद आदि व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हैं ।
- ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य शब्दों द्वारा हम लाखों करोड़ों ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों में से किसी भी ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य का बोध करा सकते हैं, इस लिए इन्हें जाति-वाचक संज्ञा कहते हैं। इसके विपरीत गंगा ( या यमुना ) नाम से हमें संसार की समस्त नदियों में से केवल एक विशिष्ट नदी का बोध होता है, हिमालय कहने से संसार के सब पहाड़ों का नहीं, बल्कि केवल एक विशिष्ट पहाड़ का बोध होता है,
- और वशिष्ठ, विश्वामित्र या अमीचंद कहने से एक विशिष्ट व्यक्ति का बोध होता है। किसी जाति के केवल एक विशिष्ट जीव या वस्तु का बोध करानेवाला नाम या संज्ञा विशिष्ट संज्ञा या व्यक्ति-वाचक संज्ञा कहलाती है | यहाँ व्यक्ति से अभिप्राय एक विशिष्ट और निश्चित इकाई से है।
- यदि हम कहें – कलकत्ता, दिली और बम्बई भारत के मुख्य नगर हैं। तो इस वाक्य में ‘नगर’ शब्द तो जाति-वाचक संज्ञा है, और कलकत्ता, दिल्ली और बम्बई व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हैं। ऊपर दिए वाक्य में ‘भारत’ भी व्यक्ति-वाचक संज्ञा है, क्योंकि वह एक अलग और विशिष्ट देश का नाम है । परन्तु ‘देश’ जाति-वाचक संज्ञा ही है, क्योंकि संसार में पचासों देश हैं; और देश शब्द उन सबके लिये समान रूप से प्रयुक्त होता है ।
व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित रूपों में होती हैं.
- व्यक्तियों के नाम – राम, गणेश, महेश, सीता.
- नदियों के नाम – गंगा, कृष्णा, नर्मदा, कावेरी.
- सागरों और महासागरों के नाम– काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर.
- पर्वतों के नाम – हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोराम.
- दुनिया की अनोखी चीजों के नाम – सुर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी, धुर्व तारा.
- ग्रहों तथा आकाशपिण्डों के नाम – शनि, शुक्र, मंगल, यम, बुध
- दिनों, महीनों के नाम- जनवरी, मार्च, जुलाई, अक्टूबर, सोमवार, मंगलवार
- दिशाओं के नाम–उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम.
- पुस्तकों तथा समाचार पत्रों के नाम- रामायण, महाभारत, गीता, ऋग्वेद, गोदान, द हिन्दू, अमरउजाला, दानिक भास्कर,
- राष्ट्रीय जातियों के नाम – भारतीय, रूसी, नेपाली, जापानी.
- नगरों, चौकों और सड़कों के नाम – पटना, गया, चाँदनी चौक, गाँधी रोड, अशोक मार्ग.
- ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम- पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही विद्रोह, अक्टूबर क्रान्ति.
- देशों के नाम- भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, नेपाल.
- त्योहारों, उत्सवों के नाम – होली, दिपावाली, रक्षा- बंधन, विजयादशमी, गणतन्त्र दिवस.
व्यक्तिवाचक संज्ञा तथा जातिवाचक संज्ञा के बीच तुलना
व्यक्तिवाचक संज्ञा | जातिवाचक संज्ञा |
खास वस्तु का बोध | वर्ग या जाति का बोध |
श्याम | मनुष्य |
सीता | स्त्री |
हिमालय | पर्वत |
गंगा | नदी |
रामायण | पुस्तक |
अंगूर | फल |
हिंदी | भाषा |
भारत | देश |
होली | पर्व |
उत्तर | दिशा |
जनवरी | माह |
पटना | शहर |
शनि | ग्रह |
समूहवाचक संज्ञा किसे कहते हैं / samuh vachak sangya kise kahate hain
जिस नाम या संज्ञा से किसी जाति या वर्ग के सब या बहुत से सदस्यों का एक साथ या सामूहिक रूप से बोध होता है। उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं | जैसे-
- व्यक्तियों के समूह :- झुण्ड, दल, भीड़, दरबार, सभा, कक्षा, सेना, टीम इत्यादि |
- वस्तुओं के समूह:- कुंज, ढेर, गठ्ठर, गुच्छा.
Explanation
- यहाँ सेना समूह-वा`चक संज्ञा है, उसका कोई एक सदस्य सैनिक जातिवाचक संज्ञा है और उसका सेनापति जनरल एस० चंद्रशेखर व्यक्ति-वाचक संज्ञा है |
- उसी तरह वर्ण’ शब्द जाति-वाचक संज्ञा है परन्तु ‘क’ एक निश्चित वर्ण का ही बोध कराता है इसलिए क्_व्यक्ति वाचक संज्ञा है और वर्णमाला समूह-वाचक संज्ञा है ।
समूह वाचक संज्ञा के उदाहरण
- बकरियों का झुण्ड घास चार रहा है |
- अंगूरों का गुच्छा मेज पर रख दो |
- मेरी कक्षा में 20 विद्यार्थी है |
- भारत की सेना, दुनिया के दूसरी बड़ी सेना है |
Notes:-
- समूह वाचक संज्ञा का प्रयोग भी प्रायः एक वचन में किया जाता है, क्योकिं ये एक ही जाति के सदस्यों के समूह की इकाई के प्रतिक होते है
- समूहवाची संज्ञा शब्दों का प्रयोग एक निश्चित अर्थ में ही होता है । यह ध्यान रखना चाहिए, जैसे-टोला (गायों का), दल (टिड़ियों का), गुच्छा (अंगूरों का), जमात (साधुओं का), संघ (छात्रों का), काफिला (ऊँटों का), झुंड (गायों का), ढेर (अनाज का), जत्था (सैनिकों का) आदि ।
- शेर और वृक्ष जातिवाचक संज्ञाएँ हैं, क्योंकि इन शब्दों से संपूर्ण जाति का बोध होता है।
द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते है – dravya vachak sangya kise kahate hain
जिन संज्ञा शब्दों से किसी द्रव्य, पदार्थ अथवा धातु का बोध होता होता है उसे द्रव्य वाचक संज्ञा कहते है |
जैसे –
- धातुओं के नाम – सोना, चाँदी, लोहा, तांबा, पीतल.
- पदार्थो के नाम – दुध, दही, घी,तेल, पानी
द्रव्य वाचक संज्ञा के 10 उदाहरण
- लोहा बहुत कठोर पदार्थ है |
- मुझे दूध पीना बहुत पसंद है |
- कोयले का रंग कला होता है |
- मुझे चाँदी केआभूषण पसंद है |
- सबसे महँगा हीरा कोहिनूर है |
- हमें रोजाना फल खाना चाहिए |
- मुझे पानी पीना है |
- बाज़ार से सब्जी लेकर आओ |
- मुझे सोने का हार खरीदना हैं |
- आम को फलों का राजा कहा जाता है |
Notes
- द्रव्यवाचक संज्ञा शब्दों का प्रयोग सदा एकवचन में होता है क्योकिं ये शब्द गणनीय नही होते है |
भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं | bhav vachak sangya kise kahate hain
जिस संज्ञा शब्द से प्राणियों या वस्तुओं के गुण, धर्म, दशा, कार्य, मनोभाव आदि का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं | जैसे –
- गुण के अर्थ में – सुन्दरता, बुद्धिमता, मिठास.
- अवस्था के अर्थ में – बचपन, जवानी, बुढ़ापा.
- दशा के अर्थ में – उन्नति, अवनति, चढ़ाई, ढलान.
- भाव के अर्थ में – मित्रता, शत्रुता, कृपणता, मनुष्यता, एकता
भाववाचक संज्ञा के उदहारण
- ईमानदारी वयक्ति का आभूषण है |
- सावन में चारों ओर हरियाली छा जाती है |
- व्यक्ति का बुढ़ापा उसे लचार बना देती है |
- रावण क्रूर व्यक्ति था |
- विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक है |
- हमें सबसे प्रेम करना चाहिए
- इस कमरे की लम्बाईअधिक है
Note:-
- भाववाचक संज्ञाओं का अनुभव हमारी इंद्रियों से होता है और इनका बहुवचन नहीं होता, जैसे-मिठास, सुंदरता, बुढ़ापा आदि ।
- भाववाचक संज्ञाओं का प्रयोग भी प्रायः एकवचन में होता है किंतु जब उनका प्रयोग बहुवचन में होता है, तब वे जातिवाचक संज्ञाएँ कहलाती हैं, जैसे- यह कैसी मानवता है। यहाँ ‘मानवता’ भाववाचक संज्ञा है किंतु उसका प्रयोग जातिवाचक के अंतर्गत हुआ है।
- भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण मूलत: जातिवाचक संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा अव्यय से होता है। इन्हें यौगिक भाव वाचक संज्ञाएँ कहते हैं ।
- जो शब्द क्रियाओं से भाववाचक संज्ञा के रूप में बनाए गए हैं। उन्हें ही क्रियार्थक संज्ञा कहा जाता है।
भाववाचक संज्ञा की रचना
भाववाचक संज्ञाओ की रचना मुख्य पांच प्रकार के शब्दों से होती है |
- जातिवाचक संज्ञाओं से
- सर्वनाम से
- विशेषण से
- क्रिया से
- अव्यय से
जातिवाचक संज्ञाओं से
- जातिवाचक संज्ञा + प्रत्यय भाववाचक संज्ञा